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Wednesday, January 22, 2020

कर्म अच्छे हमारे पानी हुए हैं !

कर्म अच्छे हमारे पानी हुए हैं !
सबूत सच्चे सारे फ़ानी हुए हैं !!

जिंदगी सराब ख़्वाहिशों का !

और हम ही कहानी हुए हैं !!

अब रहा कुछ भी नहीं बाकी !

पाँव रेत पर निशानी हुए हैं !!

बोझ कंधा बाज़ूयें हैं सहती ! 

क्यों यहाँ अर्थ बेमानी हुए हैं !!

ठहरा हुआ मैं पानी हूँ देखो !

मौज भी ना ऐसी रवानी हुए हैं !!

ज़िद ये कैसी जो पूरी ना होती ! 

दोस्त कब? आग पानी हुए हैं !!

वो खत जो तुम पढ़ भी पाये ! 

किसलिए फिर तर्जुमानी हुए हैं !!

थी खता तुम्हारी देते हो माफ़ी !

जख़्म-जख़्म की बानी हुए हैं !!

 बस वहाँ प्यास ही प्यास थी !

 केवल हम ही पानी पानी हुए हैं !!.... ''तनु''

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