कर्म अच्छे हमारे पानी हुए हैं !
सबूत सच्चे सारे फ़ानी हुए हैं !!
जिंदगी सराब ख़्वाहिशों का !
और हम ही कहानी हुए हैं !!
अब रहा कुछ भी नहीं बाकी !
पाँव रेत पर निशानी हुए हैं !!
बोझ कंधा बाज़ूयें हैं सहती !
क्यों यहाँ अर्थ बेमानी हुए हैं !!
ठहरा हुआ मैं पानी हूँ देखो !
मौज भी ना ऐसी रवानी हुए हैं !!
ज़िद ये कैसी जो पूरी ना होती !
दोस्त कब? आग पानी हुए हैं !!
वो खत जो तुम पढ़ भी पाये !
किसलिए फिर तर्जुमानी हुए हैं !!
थी खता तुम्हारी देते हो माफ़ी !
जख़्म-जख़्म की बानी हुए हैं !!
बस वहाँ प्यास ही प्यास थी !
केवल हम ही पानी पानी हुए हैं !!.... ''तनु''
सबूत सच्चे सारे फ़ानी हुए हैं !!
जिंदगी सराब ख़्वाहिशों का !
और हम ही कहानी हुए हैं !!
अब रहा कुछ भी नहीं बाकी !
पाँव रेत पर निशानी हुए हैं !!
बोझ कंधा बाज़ूयें हैं सहती !
क्यों यहाँ अर्थ बेमानी हुए हैं !!
ठहरा हुआ मैं पानी हूँ देखो !
मौज भी ना ऐसी रवानी हुए हैं !!
ज़िद ये कैसी जो पूरी ना होती !
दोस्त कब? आग पानी हुए हैं !!
वो खत जो तुम पढ़ भी पाये !
किसलिए फिर तर्जुमानी हुए हैं !!
थी खता तुम्हारी देते हो माफ़ी !
जख़्म-जख़्म की बानी हुए हैं !!
बस वहाँ प्यास ही प्यास थी !
केवल हम ही पानी पानी हुए हैं !!.... ''तनु''
No comments:
Post a Comment