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Tuesday, January 7, 2020

पेड़ जब एक मरता है, बहुत इंसान मरते हैं!

पेड़ जब एक मरता है, बहुत इंसान मरते हैं!
कर रहे हैं बंजर जमी, वो किसी से न डरते है!!

ख़्वाब ये अंधी आँखों का, एहसास भरा दिल टूटा!
वे कभी उफ्फ़ नहीं करते, ना कभी आह भरते हैं!!

क्यों फूल सूखे बहारो में,  यूँ गर्म हवा के होने से!
तपन से जलती धरा, मगर हम कुछ भी न करते हैं!!

मंज़िल मंज़िल कैद में और हर मकां मुजरिम रहे!
साँस घुटती  रूह प्यासी, जी रहे यूँ,   न मरते हैं!!

ये सदी ख़ौफोख़तर की,  दर्द है तारीकियां है!
आदमी के जंगलों में,  आदमी जान हरते हैं!!

सुर्ख़ होठों में दबी खामोशियाँ कुछ कह पाएँगी ?
फूल हरसिंगार ''तनु'' अब न खिलते हैं न झरते हैं !!... ''तनु''









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