चाँद देख जियरा जरे है!
चाँदनी जी, जी, मरे है!!
बात करते फूल झरते !
वो तो ऐबों से परे है!!
ख़्वाब सागर की लहर है!
डूब कर भी क्या तरे है!!
इश्क़ ने बख़्शा है जिसको!
बे- हुनर जीये मरे है!!
और जिसको इश्क़ नवाजे !
वो खुदा से भी परे है !!
ले गया है धड़कने भी!
जो मेरी जद से परे है !!
कह गया जो मुझको कातिल!
वो ना दुनिया से डरे है!!
पा लिया है मुझ पे काबू!
बात बातों में करे है !!
मैं मुक़ाबिल आइने के !
अक्स उसका ही उभरे है !!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment