कभी ख़यालात में, मैं जज़्बात में!
उलझे उलझे से इन सवालात में !!
उनका प्यार रहमत या की क़ैद है!
यही दिन रात है, मैं तिलिसमात में !!
पहुँचा हूँ किस तरह मैं मन्ज़िल तलक ??
घात ही घात में, सभी हालात में !!
यूँ चमन से चुरायी गयी ख़ुश्बुएँ!
चुप चुप सहा है, ऐसे ज़ुल्मात में !!
दाव ग़ैरों के, अपनों को घाव दे!
कई जानें गयीं हैं, खुराफात में !!
अदम से चला हूँ, आज तक कहर हूँ !
ना थी सुनी चहक कभी नग़मात में !!
ना गिला ना शिकायत कभी किसी से!
कोई बदलाव ना 'तनु' दिन रात में !!... ''तनु''
उलझे उलझे से इन सवालात में !!
उनका प्यार रहमत या की क़ैद है!
यही दिन रात है, मैं तिलिसमात में !!
पहुँचा हूँ किस तरह मैं मन्ज़िल तलक ??
घात ही घात में, सभी हालात में !!
यूँ चमन से चुरायी गयी ख़ुश्बुएँ!
चुप चुप सहा है, ऐसे ज़ुल्मात में !!
दाव ग़ैरों के, अपनों को घाव दे!
कई जानें गयीं हैं, खुराफात में !!
अदम से चला हूँ, आज तक कहर हूँ !
ना थी सुनी चहक कभी नग़मात में !!
ना गिला ना शिकायत कभी किसी से!
कोई बदलाव ना 'तनु' दिन रात में !!... ''तनु''
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