मन मेरा निर्मोही गया,
जग के सारे बन्धन तोड़,
दूर ज्यों इक बटोही गया !
मन मेरा ----
नई धूप बो गयी काँटे,
जहरीली हो गयी साँसे !
जल थल नभ जलता रह गया , ,,
कैसा समय विद्रोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!!
माँ का आँचल शुष्क हो गया,
नीर क्षीर विलुप्त हो गया !
घट की पीर व्योम हो गयी, ,,
अकेला अश्वरोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!
भेद छिपाकर जी न पाऊँ,
बह श्रम बिंदु जीवन पाऊँ!
दीपक बाती बिन न जलता, ,,
मेरा न्यारा छोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!!
आपसी विश्वास टूटता,
प्यार का अहसास रूठता!
चन्दन सा सुवासित जीवन, ,,
वाणी चूकी मौनी गया ,
मन मेरा निर्मोही गया!!....''तनु''
जग के सारे बन्धन तोड़,
दूर ज्यों इक बटोही गया !
मन मेरा ----
नई धूप बो गयी काँटे,
जहरीली हो गयी साँसे !
जल थल नभ जलता रह गया , ,,
कैसा समय विद्रोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!!
माँ का आँचल शुष्क हो गया,
नीर क्षीर विलुप्त हो गया !
घट की पीर व्योम हो गयी, ,,
अकेला अश्वरोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!
भेद छिपाकर जी न पाऊँ,
बह श्रम बिंदु जीवन पाऊँ!
दीपक बाती बिन न जलता, ,,
मेरा न्यारा छोही गया,
मन मेरा निर्मोही गया!!
आपसी विश्वास टूटता,
प्यार का अहसास रूठता!
चन्दन सा सुवासित जीवन, ,,
वाणी चूकी मौनी गया ,
मन मेरा निर्मोही गया!!....''तनु''
No comments:
Post a Comment