है सभी का वजूद मेरा छोड़ कर!
आशियाना था बसेरा छोड़ कर!!
आँधियों ने अँधेरे जब जब किये !
दूर जुगनू भागे डेरा छोड़कर !!
स्याह रातों, चाँद का भी जी घुटे!
जा रहा सूरज सवेरा छोड़ कर!!
गीत रूठे, सावन झूले रुक गये !
बारिश गयी घन घनेरा छोड़ कर !!
हो गया बस तुझसे कुछ लेना नहीं!
जा रहा मैं दर ये तेरा छोड़ कर !!
आते - जाते थक चुका हूँ भागते !
अब रुकूँ न आख़िर फेरा छोड़ कर !!
कनक पिंजर में आत्मा का वास है !
चाह जाना, जग बखेरा छोड़ कर!!
आज सो लूँ चैन पा लूँ नैन भर ,
क्यों रहे प्रभु 'तनु' सा चेरा छोड़कर ?... ''तनु ''
आशियाना था बसेरा छोड़ कर!!
आँधियों ने अँधेरे जब जब किये !
दूर जुगनू भागे डेरा छोड़कर !!
स्याह रातों, चाँद का भी जी घुटे!
जा रहा सूरज सवेरा छोड़ कर!!
गीत रूठे, सावन झूले रुक गये !
बारिश गयी घन घनेरा छोड़ कर !!
हो गया बस तुझसे कुछ लेना नहीं!
जा रहा मैं दर ये तेरा छोड़ कर !!
आते - जाते थक चुका हूँ भागते !
अब रुकूँ न आख़िर फेरा छोड़ कर !!
कनक पिंजर में आत्मा का वास है !
चाह जाना, जग बखेरा छोड़ कर!!
आज सो लूँ चैन पा लूँ नैन भर ,
क्यों रहे प्रभु 'तनु' सा चेरा छोड़कर ?... ''तनु ''
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