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Wednesday, January 8, 2020

है सभी का वजूद मेरा छोड़ कर!

है सभी का वजूद मेरा छोड़ कर!
आशियाना था बसेरा छोड़ कर!!

आँधियों ने अँधेरे जब जब किये !

दूर जुगनू भागे डेरा छोड़कर !!

स्याह रातों, चाँद का भी जी घुटे!

जा रहा सूरज सवेरा छोड़ कर!!

गीत रूठे, सावन झूले रुक गये !

बारिश गयी घन घनेरा छोड़ कर !!

हो गया बस तुझसे कुछ लेना नहीं!

 जा रहा मैं दर ये तेरा छोड़ कर !!

आते - जाते थक चुका हूँ भागते !

अब रुकूँ न आख़िर फेरा छोड़ कर !!

कनक पिंजर में आत्मा का वास है !

चाह जाना, जग बखेरा छोड़ कर!!

आज सो लूँ  चैन पा लूँ नैन भर ,

क्यों रहे प्रभु 'तनु' सा चेरा छोड़कर ?... ''तनु ''

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