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Sunday, January 26, 2020

मन मेरा निर्मोही हुआ
जग के सारे बन्धन तोड़,
दूर ज्यों इक बटोही हुआ
मन मेरा निर्मोही हुआ

 नई धूप बो गयी काँटे,
जहरीली हो गयी साँसे !
जल थल नभ जलता रह गया , ,,
कैसा समय विद्रोही हुआ
मन मेरा निर्मोही हुआ

माँ का आँचल शुष्क हो गया,
नीर क्षीर विलुप्त हो गया !
घट की पीर व्योम हो गयी, ,,
अकेला अश्वरोही हुआ
मन मेरा निर्मोही हुआ

भेद छिपाकर जी न पाऊँ,
बह श्रम बिंदु जीवन पाऊँ!
दीपक बाती बिन न जलता, ,,
मेरा न्यारा छोही हुआ
मन मेरा निर्मोही हुआ!!

आपसी विश्वास टूटता,
प्यार का अहसास रूठता!
चन्दन सा सुवासित जीवन, ,,
वाणी चूकी मौनी हुआ
मन मेरा निर्मोही हुआ!....''तनु'

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