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Tuesday, January 28, 2020

क़ैद क्यों हो गयी हवा आख़िर !

क़ैद क्यों हो गयी हवा आख़िर !
साँसों पर पहरा पड़ा आख़िर !!

बागबाँ ही जला रहे हैं चमन !
हम किस से करते गिला आख़िर!!

आग नफ़रत की जला गयी बस्ती !
बच्चा बूढ़ा न बचा जला आख़िर !!

नहीं पसीजी घटा, न उड़े बादल !
बूँद - बूँद  मुहताज हो गया आख़िर !!

बहुत लम्बी उम्र सियासत की !
 खूं  हर पहर सींचता आख़िर !!

दूर होता गया निगाहों से !
घाव दिल का ज़ख़्म बना आख़िर !!

''तनु'' नहीं रोती लिए नमी आँखों !
 मुस्कुराना सही दवा आख़िर !!.... ''तनु''

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