क़ैद क्यों हो गयी हवा आख़िर !
साँसों पर पहरा पड़ा आख़िर !!
बागबाँ ही जला रहे हैं चमन !
हम किस से करते गिला आख़िर!!
आग नफ़रत की जला गयी बस्ती !
बच्चा बूढ़ा न बचा जला आख़िर !!
नहीं पसीजी घटा, न उड़े बादल !
बूँद - बूँद मुहताज हो गया आख़िर !!
बहुत लम्बी उम्र सियासत की !
खूं हर पहर सींचता आख़िर !!
दूर होता गया निगाहों से !
घाव दिल का ज़ख़्म बना आख़िर !!
''तनु'' नहीं रोती लिए नमी आँखों !
मुस्कुराना सही दवा आख़िर !!.... ''तनु''
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