मैं बेटी हूँ ख़्वाहिश मेरी खूब पढ़ूँ ,
अच्छी है शुरुआत फ़साना ठीक नहीं!
पावस की बूँद धरा पर जलधर लाई,
पर बे-मौसम बरसात आना ठीक नहीं!
संग बेटियाँ बेटों को भी दो संस्कार,
नज़रें यूँ हर बार चुराना ठीक नहीं!
साँस घुटती जा रही मेरी इबादतगाह में;
है न जाने जोश कितना और मेरी आह में!
मुंतज़िर मैं प्यार का हूँ आह अब डसने लगी;
छा रहा बेहद अँधेरा जिंदगी की राह में!
आरज़ू लेकिन कहाँ, मायूस दिल के सामने;
भूल जाऊँ आपको मैं, क्या रखा है चाह में !
जुस्तजू क्यों जाग जाती फिर दिले नादान में ;
जां करूँ मेरी निछावर रात दिन परवाह में !
दूर रहकर आज काबू दिल न कोई क्या करे ;
जागती अभिलाष मेरी रख सजना निगाह में!
चाह बरसूँ बन बदरिया सावनी मैं साजना;
आ गया है देख सावन''तनु''रखना निबाह में!!.... ''तनु''
करे एकाकी
पल पल की झाँकी
नैनों में बाकी
यम के द्वारे
स्वागत की तैयारी
बजे नगाड़े
हृदय पीर
विचलित साधना
खोयी जागीर
मौत कहर
पिघलते पहर
साँस जहर ...... ''तनु''