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Monday, May 3, 2021

सच्चों की अब दासता है देखिये

 

सच्चों की अब दासता है देखिये;
झूठों से अब वास्ता है देखिये!

कुंडली मार कर घेरा इस तरह;
तड़फा तड़फा मारता है देखिये!

ऐंठ को फिर आज़मा आज़मा कर;
प्यार कैसे दफनाता है देखिये!

आबशारों यूँ जहर घुलता रहा;
मुश्किल बना रास्ता है देखिये!

जड़ लगी करने तबाह मिटटी को;
प्रेम ज्यादा ही आस्ता है देखिये!

क़ैद में अब यहाँ तुर्शियाँ-तल्खियाँ;
नीची नज़रें वाबस्ता है देखिये!

साथ मुँह के आँख भी ढँकना होगी;
साँस साँस 'तनु' शिकस्ता है देखिये!.... 'तनु'

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