बंदगी यूँ बवाल हो जाए;
फिर इमा भी सवाल हो जाए!
कैफ़ियत मौत की लिया करते हैं;
क्यों न जिंदगी मिसाल हो जाए!
लुत्फ़ आये न क़ायदा क़ाज़ी में;
यों उरुज पर उबाल हो जाए!
हरहमेश चुहुल किया नहीं करते;
झूठ ही सच है ख़याल हो जाए!
भूखी नज़रें गुनाह करती हैं ;
के शर्मिंदा अकाल हो जाए!
चाहतें कुरबतें जिन्दा रखनी है;
रंक ''तनु'' मालामाल हो जाए!...... ''तनु''
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