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Friday, May 14, 2021

खामोशियाँ, दे कर सिला गयीं हैं

 खामोशियाँ, दे कर सिला गयीं हैं;  
चीख चिल्लाकर दिल हिला गयीं हैं! 

मिट्टी में ये कैसी आग सी है;
चुभता हुआ काँटा खिला गयीं हैं! 

परिंदों की चह चह में डर शामिल;
ग़म लिए खुशियाँ, इब्तिला गयीं हैं !

 हमको कोई ना मिलेगा हमसा;
 बेदिली कितना ले फ़ासिला गयीं हैं ! 

दूरियाँ थी मगर साथ चलते रहे; 
मजबूरियाँ ''तनु'' तन छिला गयीं हैं !...... ''तनु''



 

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