खामोशियाँ, दे कर सिला गयीं हैं;
चीख चिल्लाकर दिल हिला गयीं हैं!
चीख चिल्लाकर दिल हिला गयीं हैं!
मिट्टी में ये कैसी आग सी है;
चुभता हुआ काँटा खिला गयीं हैं!
परिंदों की चह चह में डर शामिल;
ग़म लिए खुशियाँ, इब्तिला गयीं हैं !
हमको कोई ना मिलेगा हमसा;
बेदिली कितना ले फ़ासिला गयीं हैं !
दूरियाँ थी मगर साथ चलते रहे;
मजबूरियाँ ''तनु'' तन छिला गयीं हैं !...... ''तनु''
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