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Saturday, May 29, 2021

साँस घुटती जा रही मेरी इबादतगाह में

 साँस घुटती जा रही मेरी इबादतगाह में;

है न जाने जोश कितना और मेरी आह में!


मुंतज़िर मैं प्यार का हूँ आह अब डसने लगी; 

छा रहा बेहद अँधेरा जिंदगी की राह में!


आरज़ू लेकिन कहाँ, मायूस दिल के सामने;

भूल जाऊँ आपको मैं, क्या रखा है चाह में !

जुस्तजू क्यों जाग जाती फिर दिले नादान में ;

जां करूँ मेरी निछावर रात दिन परवाह में !


दूर रहकर आज काबू दिल कोई क्या करे ;

जागती अभिलाष मेरी रख सजना निगाह में!


चाह बरसूँ बन बदरिया सावनी मैं साजना;

आ गया है देख सावन''तनु''रखना निबाह में!!.... ''तनु''


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