साँस घुटती जा रही मेरी इबादतगाह में;
है न जाने जोश कितना और मेरी आह में!
मुंतज़िर मैं प्यार का हूँ आह अब डसने लगी;
छा रहा बेहद अँधेरा जिंदगी की राह में!
आरज़ू लेकिन कहाँ, मायूस दिल के सामने;
भूल जाऊँ आपको मैं, क्या रखा है चाह में !
जुस्तजू क्यों जाग जाती फिर दिले नादान में ;
जां करूँ मेरी निछावर रात दिन परवाह में !
दूर रहकर आज काबू दिल न कोई क्या करे ;
जागती अभिलाष मेरी रख सजना निगाह में!
चाह बरसूँ बन बदरिया सावनी मैं साजना;
आ गया है देख सावन''तनु''रखना निबाह में!!.... ''तनु''
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