जीवन के अंबर से,
साँसों की चोरी है
यादों के गुंचों से,
यादों के गुंचों से,
गीतों की चोरी है
नदिया की कल कल में,
प्रेम का संदेश नहीं
गोरी के होठों से,
गोरी के होठों से,
हास्य की चोरी है,....यादों के गुंचों से,
सभी तो सपन टूटे,
पलकों की डोरी से
रात भी लम्बी हुई,
रात भी लम्बी हुई,
लम्हों की चोरी है,.....यादों के गुंचों से,
घड़ियाली आँसू हैं,
मौत के समंदर में
न दुआएँ किसी की,
न दुआएँ किसी की,
मानव की चोरी है,....यादों के गुंचों से,
बेजान तन के सौदे,
मानव ना शर्मिंदा
शुबहा ना है कोई,
शुबहा ना है कोई,
सत्य की चोरी है,.....यादों के गुंचों से,
जूझना है अकेले,
अपनी बदकिस्मती से
खाली हाथों लौटा,
राहों की चोरी है,......यादों के गुंचों से,..... ''तनु''
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