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Wednesday, May 19, 2021

जीवन के अंबर से, साँसों की चोरी है

जीवन के अंबर से, 
साँसों की चोरी है 
यादों के गुंचों से,    
गीतों की चोरी है 

नदि
या की कल कल में,
  प्रेम का संदेश नहीं  
गोरी के होठों से,  
   हास्य की चोरी है,....यादों के गुंचों से,

सभी तो सपन टूटे,
  पलकों की डोरी से 
रात भी लम्बी हुई,
  लम्हों की चोरी है,.....यादों के गुंचों से,

घड़ियाली आँसू हैं, 
    मौत के समंदर में 
  न दुआएँ  किसी की,  
मानव की चोरी है,....यादों के गुंचों से,

बेजान तन के सौदे,
   मानव ना शर्मिंदा 
शुबहा ना है कोई, 
  सत्य की चोरी है,.....यादों के गुंचों से,

जूझना है अकेले,
  अपनी बदकिस्मती से 
खाली हाथों लौटा, 
   राहों की चोरी है,......यादों के गुंचों से,..... ''तनु''

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