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Tuesday, May 4, 2021

फैसले मत कर तू काँव काँव में

फैसले मत कर तू काँव काँव में ;
सोच शांति से तू ठंढी छाँव में !

फूल उगते नहीं बिना काँटों के;
कठिन है उलझना किसी दाव में !

इतनी आज़ादी भी बुरी है बहुत;
ज़ंज़ीरें रख थोड़ी तो पाँव में!

अब शहर शहर ढूँढना पड़ता है;
एक सिरा जो छूटा है गाँव में !

बहुत हुई दूरियाँ मेल तो रख;
आजा यहीं बसेरा ले ठाँव में !!...... 'तनु'


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