फैसले मत कर तू काँव काँव में ;
सोच शांति से तू ठंढी छाँव में !
सोच शांति से तू ठंढी छाँव में !
फूल उगते नहीं बिना काँटों के;
कठिन है उलझना किसी दाव में !
इतनी आज़ादी भी बुरी है बहुत;
ज़ंज़ीरें रख थोड़ी तो पाँव में!
अब शहर शहर ढूँढना पड़ता है;
एक सिरा जो छूटा है गाँव में !
बहुत हुई दूरियाँ मेल तो रख;
आजा यहीं बसेरा ले ठाँव में !!...... 'तनु'
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