उजड़ती जा रही बगिया आज किसी की;
सुनता न कोई सदा नासाज किसी की!
सुनता न कोई सदा नासाज किसी की!
फूटते है बुलबुले, साथ आवाज़ के;
टूटती साँस क्यों बे-आवाज़ किसी की!
शोर नदी में डूब गयी साँस की गर्मी;
नैया डूबती बिना पतवार किसी की!
बेक़ाबू मन था आँखें गगन पर लगी;
उड़ने को पर फैला परवाज़ किसी की!
नाले दर्द ग़म के किससे करें फरियाद;
रोटी न पानी, राह अनजान किसी की!
पेट की खातिर, डाल, यहाँ वहाँ डेरा;
आई न अब तलक सुखमय रात किसी की!
कौन करता तहस नहस जीव जीवन को;
भुगतते हैं ''तनु'' सभी अगलात किसी की!....... ''तनु''
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