जी हो कभी ख़राब रुलाना ठीक नहीं,
नाज़ुक हो जज़्बात भुलाना ठीक नहीं!
मैं बेटी हूँ ख़्वाहिश मेरी खूब पढ़ूँ ,
अच्छी है शुरुआत फ़साना ठीक नहीं!
पावस की बूँद धरा पर जलधर लाई,
पर बे-मौसम बरसात आना ठीक नहीं!
संग बेटियाँ बेटों को भी दो संस्कार,
नज़रें यूँ हर बार चुराना ठीक नहीं!
ये सियासतदान सभी मुद्दे सियासी,
अंगुलि पर संसार नचाना ठीक नहीं!
लोग हँसें, तंज करें, तब टूटता है जी,
झूठमूठ फिलहाल बहाना ठीक नहीं!
बुरा ज़माना हार छुपाई थी जग से,
भग्न हृदय आघात लगाना ठीक नहीं!
अभी ग़फलत पहचान पाना है मुश्किल,
दुनिया को हर बात बताना ठीक नहीं!
मुझसे जियादा मैं तमाशा बनती हूँ,
''तनु''छुप कर बाज़ार लगाना ठीक नहीं!..... ''तनु''
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