मित्रो नमन !!!
पाठ 6 .
गति :- जब भी हम कोई कविता रचते हैं उस पद्य के पाठ में जो बहाव होता है हम उसे गति कहते है
यति :- यदि हम उस गति को उस लय को तोड़ दें यानी पद्य पाठ के बहाव में रोक लगा दें उस रोक को यति कहते हैं
तुक :- पद्य अधिकतर तुकांत होते हैं सामान उच्चारण वाले शब्दों के प्रयोग को तुक कहा जाता है
मात्रा :- वर्ण का उच्चारण जब हम करते हैं उस उच्चारण में जो समय लगता है उसे मात्रा कहते हैं पूर्व में समझाया गया है लघु गुरु मात्रा .... लघु मात्रा का मान ''।'' …ग़ुरु मात्र का मान ''S'' …चिन्ह से प्रकट किया जाता है लघु का मान १ व गुरु का मान २ होता है।
चरण तथा पद :- वर्णों के सामंजस्य से जो पंक्तियाँ लिखी जाती हैं वे चरण या पद कहलाती है।
हर कविता में चरण या पद या चरण + पद होते हैं।
एक पंक्ति को पद तथा पद में यति / गति अर्थात रुकने के आधार पर चरण होते हैं
आइये समझें
एक दोहा .......
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर !!
प्रस्तुत छंद में दो पंक्ति अर्थात दो पद हैं
बड़ा हुआ तो क्या हुआ , जैसे पेड़ खजूर ! ये एक पद है
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर !! ये दूसरा पद है
इसका पहला चरण है
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
इसका दूसरा चरण है
जैसे पेड़ खजूर !
इसका तीसरा चरण है
पंथी को छाया नहीं,
इसका चौथा चरण है
फल लागे अति दूर !!
इस प्रकार दो पदों में चार चरण हुए। ....
गण :- वर्ण मात्रा के क्रम की सुविधा के लिए तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया गया है इस प्रकार के गणोंकी संख्या आठ है - यगण(।SS ), मगण( SSS ), तगण( SS। ), रगण ( S।S ), जगण (।S।) , भगण (S।।) , नगण (। । । ),सगण (।।S)
गणों को आसानी से याद करने के लिए सूत्र बना लिया गया है---- यमाताराजभानसलगा …
ये पाठ बस यहीं तक..... धन्यवाद मित्रो ................
गणों को हम अगले पाठ में लेंगे …
विनय सहित
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