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Sunday, November 9, 2014

पाठ ७

मित्रों  नमन !!!

पिछले पाठ में हम ये जान गए गति, यति, चरण, तुक और मात्रा क्या हैं।  आइये आज हम गणों को जाने समझें 
गण :-  छंद के बनाने में लघु गुरु के सहयोग से गण का निर्माण होता है। ये गण संख्या में आठ होते हैं इन आठों गणों  को मुँह ज़बानी याद रखने के लिए एक सूत्र है जिससे इनको समझना आसान हो जाता है वह है। .... 
आइए समझें 

सूत्र :-  य  मा  ता  रा  ज  भा  न  स  ल गा 

आखिर के दो वर्ण 'ल' और 'ग' छंद शास्त्र के दग्धाक्षर हैं  दग्धाक्षर झ ह र भ और ष ये पाँचों अक्षर दग्धक्षर हैं इनको छंद के आरम्भ में रखना वर्जित है ( पिंगल के अनुसार )   महर्षि पिंगल अपने समय के महान लेखकों में गिने जाते थे। इन्होंने 'छन्दःशास्त्र' (छन्दःसुत्र) की रचना की थी। इनका जन्म लगभग 400 ईसा पूर्व का माना जाता है। कई इतिहासकार इन्हें 'पाणिनि' का छोटा भाई मानते है।
गण’ का विचार केवल वर्ण वृत्त में होता है मात्रिक छन्द इस बंधन से मुक्त होते हैं।

सूत्र सारिणी 

य - यगण - यमाता - १२२ -   दवाई  , नहाना --  शुभ 
मा - मगण - मातारा -२२२ - बादामी,आज़ादी  -- शुभ 
ता - ताराज - तगण - २२१ - आधार,चालाक  --  अशुभ 
रा - राजभा -  रगण - २१२ - आदमी ,पालना --- अशुभ 
ज - जभान - जगण - २१२ - मकान, करील  --- अशुभ 
भा - भानस - भगण -२११ - मानव , बादल --    शुभ 
न  -  नसल - नगण - १११ -  नयन ,कमल ----  शुभ 
स  - सलगा - सगण - ११२ - चरखा ,कमला --- अशुभ 

जब भी हम छंद या कविता करें तुकान्तता का ध्यान रखें इसके अभाव में लालित्य और प्रस्तुतीकरण में कमी आ जाती  है सिर्फ मात्राएँ, गति, यति ही ध्यान में नहीं रखी जाती वरन तुकबंदी भी ज़रूरी है और तुकांतता का ध्यान रख जाना अत्यंत आवश्यक है पदों और पंक्तियों का अंत भी नियमानुकूल हो। इस तथ्य का ध्यान रखा जाना आवश्यक है. 

तुकांतता का निर्वाह करते समय केवल अंत वाला अक्षर ही नहीं मिलाया जाता बल्कि स्वर के अनुसार शब्द को भी मिलाएँ।   तीन प्रकार की तुकान्तता होती है ---उत्तम मध्यम और निकृष्ट। .... 

वाचन करते समय स्वरों और शब्दों के न मिलने पर कविता कर्णकटु लगाती है प्रवाह टूट जाता है अंत के ठीक पहले कोशिश करें कि समवर्णी अक्षर हो पर और अगर समवर्णी न मिल पाये तो कम से कम सामान स्वर हो ताकि सुनने वालों को कर्णकटु न लगकर आपकी रचना  सरस लगे और पढने वालों का प्रवाह न टूटे ।  


आइए समझें 

उत्तम तुकान्तता होगी 
आवत जावत ,--आइए  जाइए ,--बरसत सरसत ,--कुआँ धुआँ ,--मोहित लोहित। …… 

माध्यम तुकान्तता होगी 
बुझना कूदना ,--सहारा सकारा ,--पुकार मज़ार ,---जानत पिवत। ....... 

निकृष्ट तुकांतता होगी 
कहिये खोइए ,----समर कहार ,----उचित सुनत ,---उघरत विलसित। 

आज हमने गणों और तुकान्तता के बारे में समझा आशा है आपको ये पाठ रोचक लगा होगा। 


विनय सहित 
तनुजा ''तनु ''











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