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Friday, November 21, 2014

मेरा काव्य सांद्र और, आप संतृप्त घोल !!
मेरे ये नन्हे मुक्तक आपके तो तोल बोल !

खुश होकर  नसीब पर मैं अपने वारि जाऊँ ,
जितने भी मिले हैं  भाई सारे हैं अनमोल !!

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