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Sunday, November 23, 2014

धरती थार की ,
अँसुवन की धार सी.
मोह छोड़ मोह बाँध
आँचल समेट नन्हे को 
खुद से ही बतियाती 
जान गई वो हैं नहीं,
 किसे बतलाऊँ 
मन के आवेश की  ''तनु ''

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