धरती थार की ,
अँसुवन की धार सी.
मोह छोड़ मोह बाँध
आँचल समेट नन्हे को
खुद से ही बतियाती
जान गई वो हैं नहीं,
किसे बतलाऊँ
मन के आवेश की ''तनु ''
अँसुवन की धार सी.
मोह छोड़ मोह बाँध
आँचल समेट नन्हे को
खुद से ही बतियाती
जान गई वो हैं नहीं,
किसे बतलाऊँ
मन के आवेश की ''तनु ''
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