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Saturday, November 8, 2014

धुँआ …

धर्म में ये कैसी --धुँए की बास
कूपमण्डूकों को  कुँए की आस
अगर तगर ना भावे इनको
राजनीति बनी जुए की ख़ास

गुज़रा लम्हा यूँ , धुँआ धुँआ हुआ,
गम और ख़ुशी का था छुआ हुआ !
वक्त आज़ाद पंछी उड़ा उड़ गया,
हर कोई कहे ----  यहाँ जुआ हुआ !!!''तनु'' 

जादू की पोटली में--- धुँए का बम
छोटी सी ओखली में ,कुँए का भ्रम
मन पर हो काबू इच्छाशक्ति प्रबल
है अंगद का पांव हिलादे जो हो दम

क्या जानों धुँए में--- क्या छुपा छुपा 
खंज़र है ------ सीने में जो घुपा घुपा 
ये जलते मंजर, विधवा की चीखें !!! 
न बोला ना सुना सब       चुपा चुपा 





























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