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Wednesday, November 5, 2014

दोहे 

मोर मोर ही कह रहे , बना उसे सिरमोर !
जाने है विधना यही, बहे आँख घनघोर !!

मोर पपीहा चातकी , बात बिना मशहूर ! 
मेरे मन की क्या कहूँ, रोय गंवाया नूर !!

मोर बिना बादल नहीं, बादल बिन बरसात !

जिन नैनन आँसू रहे,   बिन बादल बरसात !!

आ रही और जा रही,        उमड़ घटा घनघोर !
बिजुरी मन चमकत रही, छम छम नाचे मोर!!… ''तनु ''



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