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Thursday, November 6, 2014

 घट्टी  ने पीसा
 अनाज ढेर सारा
  कुटुंब पाल

कोल्हू का बैल
निकाले तिल तेल
निखारे काया

रहट जल
क्यारियों को सींचता
तृप्त धरणी

 अनवरत
खींच रहे रहट
जल सींचन

 पुरखे बन
शाखामृग प्रसन्न
आये  न कल

खांच खनकी
निरंतर चलती
घमक घट्टी

खवां खाँच bangles up to shoulders

ओखली करे
धान कुटाई सारी
छिलका गुम





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