घट्टी ने पीसा
अनाज ढेर सारा
कुटुंब पाल
कोल्हू का बैल
निकाले तिल तेल
निखारे काया
रहट जल
क्यारियों को सींचता
तृप्त धरणी
अनवरत
खींच रहे रहट
जल सींचन
पुरखे बन
शाखामृग प्रसन्न
आये न कल
खांच खनकी
निरंतर चलती
घमक घट्टी
खवां खाँच bangles up to shoulders
ओखली करे
धान कुटाई सारी
छिलका गुम
अनाज ढेर सारा
कुटुंब पाल
कोल्हू का बैल
निकाले तिल तेल
निखारे काया
रहट जल
क्यारियों को सींचता
तृप्त धरणी
अनवरत
खींच रहे रहट
जल सींचन
पुरखे बन
शाखामृग प्रसन्न
आये न कल
खांच खनकी
निरंतर चलती
घमक घट्टी
खवां खाँच bangles up to shoulders
ओखली करे
धान कुटाई सारी
छिलका गुम
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