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Monday, November 3, 2014

आइए कविवर  के मत्तगयंद  सवैया छंद का विश्लेषण करें
ये २३ वर्ण का है सात बार भगण और अंत में गुरु गुरु है
यानी मत्त गवैया छंद =भगण x ७ +गुरु +गुरु 
तुकांत  =  धरावै, जरावै,  बतरावै,  सुनावै ……  

भानस     भानस    भानस   भानस   भानस    भानस    भानस       गुरु गुरु  
२११         २११       २११     २११       २११       २११       २११          २२ 
गावत      गीतगु   पालन    आवत     गोपिन     धीरज    कौनध      रावै,  २३ वर्ण 
भानस     भानस   भानस    भानस    भानस    भानस      भानस      गुरु गुरु 
२११         २११      २११       २११      २११        २११         २११         २२ 
देकर       पीरदु     खीकर     नैनस    दामन      मेंवह      आगज      रावै २३ वर्ण 

प्रीति करें पछतावत गूजर जाकर कै जसुदा बतरावै,
लूटत है दधि माखन मोहन बांसुरि तान न नैक सुनावै।

इन छंदों का मज़ा गाकर ही लिया जा सकता है,  वस्तुतः ग़ज़ल या छान्दसिक रचनाएँ पढने की चीज़ थी ही नहीं ये श्रोताओं द्वारा सुनने के लिए लिखी जाती थी कही जाती थी लीजिये काव्यगत प्रस्तुतियों में इस सवैया का मज़ा गाकर लीजिये। 

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