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Monday, November 17, 2014

पाठ -9

मित्रों नमन !!!

पिछले पाठ में हमने जाना छंद तीन प्रकार के होते हैं
मात्रिक, वर्णिक एवं  अर्ध मात्रिक छंद
हम पिछले पाठ में मात्रिक छंदों के बारे में जान चुके हैं आज हम उससे आगे जानेंगे

मात्रिक छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या तो सामान रहती है परन्तु लघु - गुरु के क्रम पर ध्यान नहीं दिया जाता है। 

प्रमुख मात्रिक  छंद

सम मात्रिक छंद ;

अहीर ११ मात्रा ,………तोमर १२ ,मात्रा ,.... मानव १४ मात्रा ,…… अरिल्ल ,पद्धरि / पद्धटिका चौपाई १६ मात्रा,……पीयूषवर्ष, सुमेरु १९ मात्रा,…राधिका ,२२ मात्रा .............रोला ,दिक्पाल, रूपमाला २४ मात्रा ,............. गीतिका, २६ मात्रा,....... सरसी, २७ मात्रा  ...सार ,२८ मात्रा,……हरिगीतिका ,२८ मात्रा,…तांटक ,३० मात्रा ,…… वीर या आल्हा ,३१ मात्रा ,… . 

अर्द्धसम मात्रिक छंद :-

 बरवै ,  विषम चरण में १२ सम चरण में ७ मात्रा,……दोहा, विषम में १३ सम में  ११ मात्रा ,…सोरठा, विषम में ११ सम में १३ मात्रा (दोहा का उल्टा ),………उल्लाला, विषम १५ सम १३ मात्रा,……  

विषम मात्रिक छंद ;-कुण्डलिया( दोहा + रोला)……… छप्पय (रोला +उल्लाला )

२-  वर्णिक छंद:- 

 ऐसे छंद जिनमें सभी चरणों में वर्णों की मात्रा  समान होती है वर्णिक छंद कहलाते हैं उदहारण के लिए

प्रमुख वर्णिक छंद के बारे में जान लेते हैं - प्रमाणिका ८ वर्ण ,…स्वागता, भुजंगी ,शालिनी ,इन्द्रवज्रा ,दोधक ,११  वर्ण ……वंशस्थ ,भुजङ्गप्रयाग ,द्रुतविलम्बित ,तोटक ,१२ वर्ण ……  वसन्ततिलका,१४ वर्ण ……………मालिनी ,१५ वर्ण ………पंचचामर, चंचला,१६ वर्ण .......... मन्दाक्रान्ता शिखरिणी १७ वर्ण ,………शार्दूल विक्रीड़ित १९ वर्ण ,……स्त्रग्धऱा २१ वर्ण ,....... सवैया २२ से २६ वर्ण ,....... घनाक्षरी ३१ वर्ण, ............. रूप घनाक्षरी ३२, वर्ण ……  देव घनाक्षरी ३३ वर्ण ,.... कवित्त ३१ वर्ण ,.......  मनहरण ३३ वर्ण।  


मुक्त छंद :-

 जिस छंद में वर्णिक या मात्रिक प्रतिबन्ध न हो ,  न प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या और क्रम सामान हो और न मात्राओं की कोई निश्चित व्यवस्था हो , तथा जिसमें नाद और ताल के आधार पर पंक्तियों में  लाकर उन्हें गतिशील करने का आग्रह हो वह मुक्त छंद कहलाता है,…  इन रचनाओं में राग और श्रुति माधुर्य के स्थान पर प्रवाह और कथ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है शब्द चातुर्य अनुभूति गहनता और संवेदना का विस्तार इसमें छन्दस कविता की ही भाँति  होता है। .... 

उदाहरण .... 
वह तोड़ती पत्थर
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर वह तोड़ती पत्थर
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकर
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत नयन, प्रिय–कर्म–रत–मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार–बार प्रहार –
सामने तरू–मालिक अट्टालिका आकार।
चढ़ रही थी धूप
गर्मियों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप
उठी झुलसाती हुई लू,
रूई ज्यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगी छा गई
प्रायः हुई दोपहर –
वह तोड़ती पत्थर। ''निराला''

विनय सहित 

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