एक मुक्तक
''बिना मापनी ''
कुचलते हो गुलशन में गुलों को खारों पर ? अर्क न करो !
लग चुकी कश्ती अब किनारों पर ? गर्क न करो !
नतीजा न निकले ऐसी बातों पर बहस से क्या हासिल ???
वक्त की कदर करो बेमतलब मुद्दों पर ? तर्क न करो,,,,,…''तनु ''
''बिना मापनी ''
कुचलते हो गुलशन में गुलों को खारों पर ? अर्क न करो !
लग चुकी कश्ती अब किनारों पर ? गर्क न करो !
नतीजा न निकले ऐसी बातों पर बहस से क्या हासिल ???
वक्त की कदर करो बेमतलब मुद्दों पर ? तर्क न करो,,,,,…''तनु ''
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