जब तू आँधी में घबराये ;
पानी में जब घर बह जाए !
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ , ,,
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ !!
चींचीं चूँ चूँ कर उड़ जाए ;
नन्हे के तू हाथ न आये !
दाना डालूं खूब रिझाऊँ , ,,
बोल चिरैया कैसे मनाऊँ !!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,
तू हमारी पर्यावरण मित्र ;
देखूं तेरे मैं कितने चित्र !
तुझ जैसा मैं गा ना पाऊँ , ,,
तुझ जैसा मैं उड़ ना पाऊँ!!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ ,
कितनी गर्मी सर्दी कितनी ;
और फिर वर्षा भी इतनी !
तिनके पत्ते सूत जुटाऊँ , ,,
तुझसा घर बना ना पाऊँ !!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ,
तेरी मेहनत ज्यादह मुझसे ;
तेरी पीड़ा ज्यादह मुझसे !
नन्ही जान कैसे बहलाऊँ , ,,
तुझ सी संत न मैं बन पाऊँ!!
घर में पेड़ कहाँ लगाऊँ
तेरा घोंसला कहाँ बनाऊँ , ,, ''तनु ''