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Thursday, January 31, 2019

कोई मुझ तक चला होगा

कोई मुझ तक चला होगा, खुदारा आ ही जायेगा !
इस भूले से इक दरिया का, किनारा पा ही जायेगा !!
मेरी साँसों में उसकी साँसों की है महक बाकी , ,,
वो मेरे इस बीमार दिल का,  इशारा पा ही जायेगा !!
-------"तनु"
अगर जमी का कोई आसमान न होता!
जिंदा रहना किसी का भी आसान न होता!!

हरेक ग़ज़ल की अपनी कहानी होती है!
किस्सा छोटा सा बड़ी दास्तान न होता!!

दिल में ही रहते सभी की चाहतों के दिल!
अच्छा होता रहने के लिए मकान न होता!!
------"तनु"

Wednesday, January 30, 2019

इसे चुरा उसे चुरा
गगन चुरा जमी चुरा
नित्य खड़ी उषा लिये
कभी उसे लिजे चुरा

Tuesday, January 29, 2019

नसीबा को कहूँ शुक्रिया,जिंदगी उबार दी!
अब तो सभी कहेंगे कायनात सँवार दी!!
इतनी दुआओं के बाद भगवन तेरी कृपा से, ,
नन्ही बेटी तूने,   मेरी गोद उतार दी !!
-----"तनु"
एक भीड़ चल पड़ी है जहाँ चाह भी नहीं !
ठोकरें ही ठोकरें,    वहाँ राह भी नही!!

जब चलो तो जान लो जा रहे हो कहाँ ?
जब इंसानियत नहीं वहाँ पनाह भी नहीँ !!

लेता न हो कोई जहाँ नाम भगवान का!
जाना मत वहाँ, जहाँ इबादत गाह भी नहीं !!
-----"तनु"

दर्द की शाम

दर्द की शाम और सवेरा गुम कहीं!
खो गया आराम  बसेरा गुम कहीं!!
दिल का एक खुशनुमा एहसास है , ,,
पास तू ही तू और अंधेरा गुम कहीं!!
--------"तनु"
कौन बंजारा हुआ किस दर्द की खातिर!
आज मेरे गीत खोये शब्द की खातिर!!

थक गए पाँव भी वफ़ा की राह में चलते !
तक रही अब राह भी अनजान की खातिर!!

होम करके अब स्वयं को अग्नि में!
प्राण पाऊँ और किस प्राण की खातिर!!
------"तनु"

उम्मीद का सूरज

साँझ ये लेकर चली तेरी यादों के दीये!
कल सूरज निकलेगा कोई उम्मीद को लिये !!
चलो कुछ देर के लिये दिल बहल तो जायेगा, ,,
मैं बहुत भटका हुआ हूँ खाब की दुनिया लिये!!
-----"तनु"

Monday, January 28, 2019

बिखर गये अरमान

उलझी डोर पतंग की , बिखर गये अरमान ;
राह कठिन रे जिंदगी, मैं समझी आसान !
अब बिसूरता मुँह लिये, खो बैठी हूँ होश, ,,
अपने हाथों लुट गई, हुआ न मुझको भान !!.
... ''तनु''
उलझी डोर पतंग की , बिखर गये अरमान ;
राह कठिन रे जिंदगी, मैं समझी आसान !
अब बिसूरता मुँह लिये, खो बैठी हूँ होश, ,,
अपने हाथों लुट गई, किसको दूँ अब दोष !!..
.. ''तनु''
क्यों शजर का तय है नसीबा बहारों में!
क्यों बशर का तय है नसीबा  उधारों में!!

अपना होकर अपना नहीं नसीबा वही!
ज्यों सूखे का तय है नसीबा सहारो में!!

सूख कर नदियाँ सिमटी सिमट रही !
भूल कर जो पराई हो गयी किनारों में!!

आग पानी में भला कब हुई यारियाँ!
साबित सदा यही होता गया अंगारों में!!

देखती "तनु" आँख हालात ग़म ओ खुशी !
आँख बिन रंग-ए-तसर्रुफ़ गुम हुए नज़ारों में!!
-----"तनु"

Saturday, January 26, 2019

फुगाँ

गर्द बीता नौबहार,  सबा ना रही!
बीत गयी रात सर्द,  सदा ना रही!!
ठूँठ हम रहे क्यों बहार चली गयी, ,,
इस तरह सहा दर्द, फुगाँ ना रही!!

---"तनु"

Friday, January 25, 2019

खोलो जिन्दगी के पन्नों को

खोलो जिंदगी के पन्नों को इक सुखद एहसास हो !
बिरवा लहलहाए तुलसी का, तू भी आसपास हो !!
धूप आँगन में चमके और रात चाँदनी भी हो सुन्दर, ,,
चहकता,महकता हो सब कुछ पर खास खास हो!!
-----"तनु"

जिंदगी तू खोल पन्नों को इक सुखद एहसास से !
बिरवा लहलहाए तुलसी , तू भी गुजरे पास से !!
धूप आँगन चमके और माँ भी मेरे पास हो , ,,
चहकता,महकता हो सब कुछ पर हास हो खास हो!!
-----"तनु"

जिंदगी तू खोल पन्नों को इक सुखद एहसास से !
बिरवा लहलहाए तुलसी , तू भी गुजरे पास से !!
धूप आँगन चमके और माँ भी मेरे पास हो , ,,
चहकता,महकता हो सब कुछ खास कर हास से!!
-----"तनु"

Thursday, January 24, 2019

लगा के दिल इबादत कर रही हूँ !
मैं  गुलों की हिफाजत कर रही हूँ!!

दरख़्त हुआ पाला जिसे था प्यार से!
मुहब्बत से मुहब्बत कर रही हूँ!!

इश्क में सबा ये महकी हुई है !
मैं सबा की बदौलत कर रही हूँ!!

इक पल पाबन्दियों का नहीं गवारा!
नज़र नज़र से शरारत कर रही हूँ!!

बहुत बे चैन हूँ बगावत दिल ने की है !
मैं इक इक पल खुशामद कर रही हूँ!!
----"तनु"

इबादत कर रहा हूँ

लगा के दिल इबादत कर रहा हूँ !
मैं गुलों की हिफाजत कर रहा हूँ!!

दरख़्त हुआ पाला जिसे था प्यार से!
मुहब्बत से मुहब्बत कर रहा हूँ!!

इश्क में सबा ये महकी हुई है !
मैं सबा की बदौलत कर रहा हूँ!!

इक पल पाबन्दियों का नहीं गवारा!
नज़र नज़र से शरारत कर रहा हूँ!!

खिज़ा को अब आने से रोक देना!
वही मैं भी खुशामद कर रहा हूँ!!
-----"तनु"

Wednesday, January 23, 2019

लगा के दिल

लगा के दिल इबादत कर रहा हूँ !
मैं  गुलों की हिफाजत कर रहा हूँ!!

दरख़्त हुआ पाला जिसे था प्यार से!
मुहब्बत से मुहब्बत कर रहा हूँ!!

इश्क में सबा ये महकी हुई है !
मैं सबा की बदौलत कर रहा हूँ!!

इक पल पाबन्दियों का नहीं गवारा!
नज़र नज़र से शरारत कर रहा हूँ!!

खिज़ा को अब आने से रोक देना!
वही मैं भी खुशामद कर रहा हूँ!!
----"तनु"
बांधूँ नयनन डोर से, तोड़ूँ टूटे साँस!
मैं तो तेरी बावरी, जीते तेरी आस!!
---'तनु'

टूटी अटारी

आइये आ जाइये टूटी अटारी है!
मुश्किलों में ये हँसी झूठी सँवारी है!!

दिल नहीं बंजर महक इसमें है सावन सी !
यूँ बियाबाँ से ग़ज़ल बूँदों उतारी है!!

चूमने लग जाये कोई याद मेरी कहीं !
साँझ की चौखट दीया धर कर दुलारी है!!

इक जुस्तजू है नज़र दिल के मेहमाँ को  !
आसमा इक लूँ बना ये लत बीमारी है!!

राह तेरी देखती ये जिंदगी भी है!
और 'तनु' लटकी सर तलवार दुधारी है!!
------"तनु"


Tuesday, January 22, 2019

बदलती तारीख़ है

बदलती तारीख़ है, अब किसकी बारी है!
चलने की तैयारियां सारी की सारी हैं!!

उसने वक्ती तौर पर खुद को बदला भी!
पर निशाना खाली नहीं शातिर शिकारी है!!

चेहरे कितने छुपे हर चेहरे के पीछे!
लूट लेगा कब तुझे वो कारोबारी है!!

लूटना मत तुम खुदा के नाम किसी को!
नाम तुम्हारा पर उसका नाम भारी है!!

निकल भी आओ अब इस दलदल से तुम!
कोठरी काजल की काजल से भी कारी है!!

मंज़िलें मिलती नहीं इस रास्ते  चल के!
 इन रास्तों पर नहीं कोई चलती सवारी है!!

रोटियाँ पकती नहीं अब मिट्टी के चुल्हे पर!
दौर है  नया हर चुल्हे की बुझी चिंगारी है!!

जी रहे हैं गफलतों में छोड़कर जीना !
"तनु" मर के ही जीते रहे अजब संसारी हैं!!
-----"तनु"

जतलाते अकारण हैं

जतलाते अकारण हैं , कैसे इतना प्यार ?
कोई साजिश फिर नई,  लगती है अब यार !!

ऊपर खुशबू चुपडते, दिल से आती बास!
महके महके घूमते , पहन झूठ का हार!!

कल जमीन थे चाटते, आज उठे आकाश!
हथेलियाँ मलते रहे,   हुए धरा पर भार!!
-----"तनु"

नहीं सलीका काम का वो दौर जारी है,

नहीं सलीका काम का वो दौर जारी है,
आप के चारों तरफ अनगिन मदारी हैं !

हद जियादा देखना भी इक बीमारी है ,
क्या समझने से बदलती ये आज़ारी है!

ढोलता है ढूध कोई, फैंकता सब्ज़ी ,
खो गये अपने शहर से सारे भिखारी हैं!

कीजिये हमसे पर्दा कुछ तो सलीके से,
झुक कर अदब से सलाम तमीज़दारी है!

जोरु जेब ज़मीन तिजोरी सामने सब है,
नोट सारे गुम हुए अब रेज़गारी है!

छल रहे हैं रहबर, गर्दन भी पकड लेंगे ,
क्या शिकायत "तनु" करे ऐसी लाचारी है!
-----"तनु"

Monday, January 21, 2019

सच्चा खावे चोट रे!

लुभावने झूठ सच बने, सच्चा खावे चोट रे!
सच्चा खावे चोट रे , चलन में वे ही सिक्के ,
चलन में वे ही सिक्के,  जिन सिक्कों में खोट रे!!
जिन सिक्कों में खोट रे, पक्के सबूत मिट गये,,
पक्के सबूत मिट गये, ज्यों ही बीती रात रे!
ज्यों ही बीती रात रे! खेल अभी उनका रहा !
खेल अभी उनका रहा,  फिक्स हो गयी गोट रे!!,
फिक्स हो गयी गोट रे!!लेखनी लिखते लिखते,
लिख जाये सच बात रे! सारी बातें बदल दीं , !
सारी बातें बदल दीं, खिला खिला कर नोट रे!!
खिला खिला कर नोट रे!!भाई सब मिल खा रहे,!!
भाई सब मिल खा रहे, मौसेरे थे चोर रे!
मौसेरे थे चोर रे! सभी मिलजुल पहन रहे,
सभी मिलजुल पहन रहे, बदल बदल कर कोट रे!!
बदल बदल कर कोट रे! कौन निभाये साँच को,
कौन निभाये साँच को,  कुँए पड़ गयी भाँग रे!
कुँए पड़ गयी भाँग रे! अब रामजी भली करे !
अब रामजी भली करे,  सब तो पीवै घोट रे!!
-----"तनु"

अब रामजी भली करे

लुभावने झूठ सच हैं, सच्चा खावे चोट!
चलन में वे ही सिक्के, जिन सिक्कों में खोट!!

पक्के सबूत मिट गये, ज्यों ही बीती रात!
खेल अभी उनका रहा,  फिक्स हो गयी गोट!!

लेखनी लिखते लिखते, चाहे लिख सच बात!
बात लेकिन बदली रे,  खिला खिला कर नोट!!

भाई सब मिल खा रहे, मौसेरे थे चोर!
सभी मिलजुल पहन रहे, बदल बदल कर कोट!!

कौन निभाये साँच को ?  कुँए पड़ गयी भाँग,
अब रामजी भली करे, सब ही पीवै घोट!!
-----"तनु"
कौन बनेगा सारथी,आयुध ना विश्वास,
कर्म भूमि में हारकर,किससे बाँधूँ आस!
दोष हमेशा शूल का, चुभ दुखती ज्यूँ फाँस, ,,
दामन में कलियाँ नहीं , बीत गया मधुमास!!
---'तनु'

Sunday, January 20, 2019

बात सुनो सुन कर गुनो, मैं भी हूँ कुछ खास,
एक नज़र तो देख लो , सच हूँ !! ना आभास ,
क्यों मिलती रुसवाइयाँ,  मैं सदा बदहवास , ,,
सारी बातें साँच थी,  ना था कुछ भी हास!!
---'तनु'

नित महकाता

नित महकाता बाग को, भगवन का उपहार!
पुहुप, सुमन, फूल कहता, मुझको सब संसार!!
भाल विधाता के चढ़ूँ , मान मान उपकार, ,,
सजाऊँ जनाज़ा कभी , जान जगत व्यवहार!!
---'तनु'

Saturday, January 19, 2019

मेरे अपने न समझें, मेरे मन की बात,
कहाँ बिछौना ये बिछे, बिछती कहाँ बिसात!
मग में काँटें लाख हैं,  निपट अकेली रात, ,,
कब पराये कर जाए,  मेरे मन से घात!!
----"तनु"
बांधूँ नयनन डोर से, तोड़ूँ टूटे साँस!
मैं कान्हा की बावरी, जीते जी की आस!!
---'तनु'
मेरे अपने न समझें, मेरे मन की बात!
कब पराये कर जाए , मेरे मन से घात!!
---'तनु'

Friday, January 18, 2019

 गुलों के मुक़ाबिल, हुआ न कोई  ;
छलने वालों को मिली, दुआ न कोई  !

मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ;
कनार-ए-आबजू, दरिया हुआ न कोई  !

कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनूँ साथ था शहपर हुआ न कोई !

 खिजाँ उजाड़ती  दरख्तों से पत्ते ;
रुत किसी की सावन हुआ न कोई !

उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा हुआ न कोई  !!..... तनुजा ''तनु ''

कनार-ए-आबजू = पानी का सोता
शहपर  = मजबूत परों वाला

Sunday, January 13, 2019

मिलूँ तो गले से लगा लेना,
आँसू में ग़म को गला लेना!
फिर क्यों होंगे हम तुम से जुदा, ,,
 अगर हों जुदा तो बुला लेना!
--- 'तनु'
उड़ती फिरती मैं तो पतंग हूँ
आदत से बेबस मलंग हूँ !
उड़ी उड़ान से ऊँची हमेशा , ,,
बुरी बातों से बेहद तंग हूँ!!
---"तनु"
इक दिन यूँ ही मोड़ पर, मिल ही जाना आप,
जानूँ न बातें कितनी ,कहनी हैं चुप चाप!
 ---"तनु"

Thursday, January 10, 2019

जज़्बात को अयां करता है!
हर्फ़ हर्फ़ सच बयाँ करता है!!
वो दाता है देता ही रहेगा , ,,
जो सबको दिया करता है!!


 जज़्बात को अयां करता है!
हर्फ़ हर्फ़ सच बयाँ करता है!!
वो दाता है देता ही रहेगा , ,,
वो सबको दिया करता है!!,*तनु*

Wednesday, January 9, 2019

सींची बगिया आपने , ले लो सारे फूल!
हम माली इक बाग के ,  जाना मत तुम भूल!!*तनु*
सींची बगिया आपने , ले लो सारे फूल!
हम साथी इक राह के ,  जाना मत तुम भूल!!*तनु*

Tuesday, January 8, 2019

भावना में पंख भीगे भार दे गये!
प्यार से सींचे दरख़्त थे खार दे गये!!
और जिनको जानते हम जानवर रहे, ,,
जिंदगी में प्यार देकर बहार दे गये!!*तनु*
याद कोई फिर बहुत प्यार दे गयी!
साथ उनके जिंदगी बहार दे गयी!!

याद चिट्ठी पुरानी फूल सी महकती!
और वीणा तार की झनकार दे गयी!!

पूज ले ये जिंदगी है बन्दगी!
सार इश्क है जीने का सार दे गयी!!

पीर, भिश्ती बावर्ची, हम ही उनके!
जिंदगानी तुम ही तो संसार दे गयी!!

'तनु'नये लोग दिखने लगे हैं राह में!
 चाँदनी की तड़फ व्यवहार दे गयी!!   *तनु*

Monday, January 7, 2019

झरोखे यादों के खुले ही रहें!
कोई याद बहुत प्यार दे गई !!*** तनु*

Sunday, January 6, 2019

सियाला रा दन

शिशिर री सीह घणी, वई गया छोटा दन ,
सियाला री रात बड़ी, ढाँक मूंडो सोइजो
हवा भी धुजावे डील,  हाय रे चुभावै पीन,
माला माय धूप ताती, गणी गणी पोइजो ,
पूस माह घात करे, चली भोर साथिन,
फूल फूल ओस डाली, आँचल भिगोइजो
 दाँता री किटर किट,साँय साँय पल छिन,
पड़ी ग्यो 'लकड़ दाव', बीज पाछा बोइजो,**"तनु,"

खद्योत

ना जमी नहीं महल नहीं कलधौत चाहिये!!
यहाँ रौशनी बहुत है, खद्योत चाहिये,
बिक गया यक़ी, ज़ुल्मो सितम भी बिक गया, ,,
जी लिया हूँ बहुत,  मुझे मौत चाहिये!!**"तनु"

Saturday, January 5, 2019

सुमन खिल गया

गुनगुनाने से भौरों के सुमन खिल गया,
चाहा जग से किनारा नंदन मिल गया!
ये कैसी आरज़ू थी चाह और राह भी, ,,
दीवानगी माँगी तो बंधन मिल गया!!**"तनु"

शीत की बावरी किरण

धुंध में छुपने लगती, मदहोश किरण बावरी,
धूप से बनी दूरियाँ, मदहोश किरण बावरी!
शीत कुहासा नीहार, माने मीत ना उसको,  ,,
निहारती है जिंदगी, मदहोश किरण बावरी!!**"तनु"
धूप बो गयी काँटे,
हवा हो गयी साँसे!
जल जल के रहा न जल, ,,
अंजुरि अंजुरि प्यासे!!**"तनु"
साथ गुबार के हर कारवाँ गुजरता है,
वक्त भी किसी के साथ कहाँ ठहरता है!
गुंचे चाहते हैं कि बहारें आती रहें, ,,
खिजाँ के बगैर भी चमन कहाँ सँवरता है!!**"तनु"

Friday, January 4, 2019

हर बरस की यही ख़ासियत है
जिंदगी तेरी यही अज्जियत है
के सलाम मैं दोनों को करता रहूँ
वल्लाह !! क्या  ख़ूब मेरी तबियत है
बीता ऐसे जीवन मेरा कि कहानी लगी,
शूल दुखों के,  कभी जिंदगी सुहानी लगी!
छोड़ता जा रहा  लमहा मुझे यूँ अकेला, ,,
अब अकेली मुझे मेरी जिंदगानी लगी!!***" तनु"
बहुत सी घातें हैं, इक शक से परे!
बहुत सी बातें हैं,  इक हक़ से परे!!

रात अमा की,  चाँदनी शायद सो गयी !
और बहुत सी, लतें हैं इकटक से परे!!

शीत की चादर में मुफ़लिसी काँपती !
एक गोशा यहीं है लकदक से परे!!

राह वो पकड़ी कोई होती अगरचे!
 तो जीते रिश्तों की झकझक से परे!!

 हैं उसी की राहें मंज़िल भी उसी की!
सब कुछ गुज़र जायगा यक-ब-यक से परे !!  "तनु"
बहुत सी घातें हैं, इक शक से परे,
बहुत सी बातें हैं,व इक हक़ से परे!
रात अमा की, चाँदनी शायद सो गयी  , ,,
और बहुत सी लतें हैं इकटक से परे!!***"तनु"

Wednesday, January 2, 2019

नयन

नयन नयन में डूबते,
नयन चले भव पार !
प्रेम सुधा रस पी रहे,
नयन नयन हो चार !!

नयन नयन में डूबकर
नयन नयन से बात !
प्रेम सुधा रस पी रहे,
नयन नयन में घात !!

प्रेम सुधा रस पी रहे
नयन नयन से रात
नयन नयन में डूब कर
 नयन नयन से घात

विगत वर्ष में पा लिया,सुंदरतम उपहार!

विगत वर्ष में पा लिया,सुंदरतम उपहार!
सपन सलोने सज गये,इन नयनों के द्वार!!
इन नयनों के द्वार,आस निधि मन महकाये
तोरण मनहर हार,सृष्टि सुंदर मधुमाये
बजे नगाड़े धूम,चहुँ दिश आगत वर्ष में
मनवा गाये झूम ,जो मिला विगत वर्ष में

मेरा इस शहर में कोई अपना नहीं है!

मेरा इस शहर में कोई अपना नहीं है!
आँखों में मेरे कोई सपना नहीं है !!

सोकर आराम है उठूँगा आराम से!
जिंदगी यूँ मुझे कोई खपना नहीं है!!

देख लो सारे जोगी ये भोगी हुए हैं!
देव अपना मुझे कोई जपना नहीं है!!

तपिश की कसर थोड़ी बाकी रही न रहेगी!
के जला अंगार हूँ कोई तपना नहीं है!!

पलकों से पल पल मैंने काँटे चुने हैं!
"तनु," यूँ ही पलक कोई झपना नहीं है!!