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Sunday, January 20, 2019

नित महकाता

नित महकाता बाग को, भगवन का उपहार!
पुहुप, सुमन, फूल कहता, मुझको सब संसार!!
भाल विधाता के चढ़ूँ , मान मान उपकार, ,,
सजाऊँ जनाज़ा कभी , जान जगत व्यवहार!!
---'तनु'

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