बहुत सी घातें हैं, इक शक से परे,
बहुत सी बातें हैं,व इक हक़ से परे!
रात अमा की, चाँदनी शायद सो गयी , ,,
और बहुत सी लतें हैं इकटक से परे!!***"तनु"
बहुत सी बातें हैं,व इक हक़ से परे!
रात अमा की, चाँदनी शायद सो गयी , ,,
और बहुत सी लतें हैं इकटक से परे!!***"तनु"
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