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Wednesday, January 2, 2019

मेरा इस शहर में कोई अपना नहीं है!

मेरा इस शहर में कोई अपना नहीं है!
आँखों में मेरे कोई सपना नहीं है !!

सोकर आराम है उठूँगा आराम से!
जिंदगी यूँ मुझे कोई खपना नहीं है!!

देख लो सारे जोगी ये भोगी हुए हैं!
देव अपना मुझे कोई जपना नहीं है!!

तपिश की कसर थोड़ी बाकी रही न रहेगी!
के जला अंगार हूँ कोई तपना नहीं है!!

पलकों से पल पल मैंने काँटे चुने हैं!
"तनु," यूँ ही पलक कोई झपना नहीं है!!

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