एक भीड़ चल पड़ी है जहाँ चाह भी नहीं !
ठोकरें ही ठोकरें, वहाँ राह भी नही!!
जब चलो तो जान लो जा रहे हो कहाँ ?
जब इंसानियत नहीं वहाँ पनाह भी नहीँ !!
लेता न हो कोई जहाँ नाम भगवान का!
जाना मत वहाँ, जहाँ इबादत गाह भी नहीं !!
-----"तनु"
ठोकरें ही ठोकरें, वहाँ राह भी नही!!
जब चलो तो जान लो जा रहे हो कहाँ ?
जब इंसानियत नहीं वहाँ पनाह भी नहीँ !!
लेता न हो कोई जहाँ नाम भगवान का!
जाना मत वहाँ, जहाँ इबादत गाह भी नहीं !!
-----"तनु"
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