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Tuesday, January 22, 2019

जतलाते अकारण हैं

जतलाते अकारण हैं , कैसे इतना प्यार ?
कोई साजिश फिर नई,  लगती है अब यार !!

ऊपर खुशबू चुपडते, दिल से आती बास!
महके महके घूमते , पहन झूठ का हार!!

कल जमीन थे चाटते, आज उठे आकाश!
हथेलियाँ मलते रहे,   हुए धरा पर भार!!
-----"तनु"

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