जतलाते अकारण हैं , कैसे इतना प्यार ?
कोई साजिश फिर नई, लगती है अब यार !!
ऊपर खुशबू चुपडते, दिल से आती बास!
महके महके घूमते , पहन झूठ का हार!!
कल जमीन थे चाटते, आज उठे आकाश!
हथेलियाँ मलते रहे, हुए धरा पर भार!!
-----"तनु"
कोई साजिश फिर नई, लगती है अब यार !!
ऊपर खुशबू चुपडते, दिल से आती बास!
महके महके घूमते , पहन झूठ का हार!!
कल जमीन थे चाटते, आज उठे आकाश!
हथेलियाँ मलते रहे, हुए धरा पर भार!!
-----"तनु"
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