Labels

Monday, January 21, 2019

अब रामजी भली करे

लुभावने झूठ सच हैं, सच्चा खावे चोट!
चलन में वे ही सिक्के, जिन सिक्कों में खोट!!

पक्के सबूत मिट गये, ज्यों ही बीती रात!
खेल अभी उनका रहा,  फिक्स हो गयी गोट!!

लेखनी लिखते लिखते, चाहे लिख सच बात!
बात लेकिन बदली रे,  खिला खिला कर नोट!!

भाई सब मिल खा रहे, मौसेरे थे चोर!
सभी मिलजुल पहन रहे, बदल बदल कर कोट!!

कौन निभाये साँच को ?  कुँए पड़ गयी भाँग,
अब रामजी भली करे, सब ही पीवै घोट!!
-----"तनु"

No comments:

Post a Comment