मेरे अपने न समझें, मेरे मन की बात,
कहाँ बिछौना ये बिछे, बिछती कहाँ बिसात!
मग में काँटें लाख हैं, निपट अकेली रात, ,,
कब पराये कर जाए, मेरे मन से घात!!
----"तनु"
कहाँ बिछौना ये बिछे, बिछती कहाँ बिसात!
मग में काँटें लाख हैं, निपट अकेली रात, ,,
कब पराये कर जाए, मेरे मन से घात!!
----"तनु"
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