गुलों के मुक़ाबिल, हुआ न कोई ;
छलने वालों को मिली, दुआ न कोई !
मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ;
कनार-ए-आबजू, दरिया हुआ न कोई !
कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनूँ साथ था शहपर हुआ न कोई !
खिजाँ उजाड़ती दरख्तों से पत्ते ;
रुत किसी की सावन हुआ न कोई !
उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा हुआ न कोई !!..... तनुजा ''तनु ''
कनार-ए-आबजू = पानी का सोता
शहपर = मजबूत परों वाला
छलने वालों को मिली, दुआ न कोई !
मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ;
कनार-ए-आबजू, दरिया हुआ न कोई !
कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनूँ साथ था शहपर हुआ न कोई !
खिजाँ उजाड़ती दरख्तों से पत्ते ;
रुत किसी की सावन हुआ न कोई !
उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा हुआ न कोई !!..... तनुजा ''तनु ''
कनार-ए-आबजू = पानी का सोता
शहपर = मजबूत परों वाला
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