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Friday, January 18, 2019

 गुलों के मुक़ाबिल, हुआ न कोई  ;
छलने वालों को मिली, दुआ न कोई  !

मुद्दतों बढ़ा, जुनूँ और तिश्नगी ;
कनार-ए-आबजू, दरिया हुआ न कोई  !

कश्ती न भरोसा साहिल का कभी ;
जुनूँ साथ था शहपर हुआ न कोई !

 खिजाँ उजाड़ती  दरख्तों से पत्ते ;
रुत किसी की सावन हुआ न कोई !

उसे थी हसरत रब के दीदार की ;
तब आँखों में दूजा हुआ न कोई  !!..... तनुजा ''तनु ''

कनार-ए-आबजू = पानी का सोता
शहपर  = मजबूत परों वाला

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