छंद पियूष वर्ष छंद पर आधारित :-
विधा परिचय - यह एक भारतीय सांस्कृतिक छंद है जिसमे १९ वर्ण एवं ४ पद होते हैं तथा ३-१०-१७ पर लघु वर्ण अनिवार्यत: रखना होता है , संस्कृत रचना में पदांत की अनिवार्यता नहीं होती परन्तु हिंदी तथा देसज में पदांत हो तो सौन्दर्य का बोध कराते हैं।
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२
खेल लिया अब , चल !!! धो हाथ मुँह दूँ
धो कर तेरी थकन रत्नाकर दूँ !!!
हो न ऐसा माँ तुझको डाँट रही ,,,,,,,,,,,
तू कहीं न हो चुप , लो मैं रो न दूँ!!
विधा परिचय - यह एक भारतीय सांस्कृतिक छंद है जिसमे १९ वर्ण एवं ४ पद होते हैं तथा ३-१०-१७ पर लघु वर्ण अनिवार्यत: रखना होता है , संस्कृत रचना में पदांत की अनिवार्यता नहीं होती परन्तु हिंदी तथा देसज में पदांत हो तो सौन्दर्य का बोध कराते हैं।
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१
मान ! बल ! उद्वेग ! सागर ही रहा ,
है मयंक पूनम नभ दिख ही रहा !
हैं खिलाडी द्वय !!! जीवन खेल था
एक उलझ ज्वार , उन्नत ही रहा !!...
है मयंक पूनम नभ दिख ही रहा !
हैं खिलाडी द्वय !!! जीवन खेल था
एक उलझ ज्वार , उन्नत ही रहा !!...
२
खेल लिया अब , चल !!! धो हाथ मुँह दूँ
हो न ऐसा माँ तुझको डाँट रही ,,,,,,,,,,,
तू कहीं न हो चुप , लो मैं रो न दूँ!!
3
याद आवे री बरसाने जन की !!!
वृषभानु आँगन झनक रुनझुन की !!!
याद आवे री बरसाने जन की !!!
वृषभानु आँगन झनक रुनझुन की !!!
याद आवे झूलत मन मोहन की,
बाँसुरी टेर सुन राधे गुनन की !!!……
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