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Saturday, April 11, 2015



झंझावातों के थपेड़े,           झुके मन की आशाओं के झाड़ !
नन्हा अंकुर पकड़े ज़मीं,           कोई आतंकी ना दे उखाड !
टूटे ना हिम्मत माने ना हार आँधी और तूफानों से !!!
आ गये किरणों के पाखी,          रुके गम के अंधेरों के लाड ! 

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