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Sunday, April 5, 2015

बूँद बूँद चाँदनी नहीं,....  मृगतृष्णा का घूँट ,
ये किस करवट को बैठ गया , जीवन मरु का ऊँट ?
वाणी है मौन, प्रश्न गौण , एषणाएँ धूसरित !!!............
मलमल सी जिन्दगी में पैबंद लगा रहा जूट,,,,,,,,,,

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