पूज्य बापूजी (मेरे दादाजी) को,
उनकी याद में बनारस !उनके बाद में बनारस !!
उन्हें बहुत याद करता है
स्वप्न में जो गीत रचा है,---- मैं तुमको सुनाता हूँ ,
घाट पर ले तबला मृदंग,------ मैं तुमको मनाता हूँ ,
किस दुनिया में रहते ''बापूजी'' जो दिखते भी नहीं !!
श्रृद्धा सहित विनत हूँ आज,-- मैं तुमको बुलाता हूँ ; .... ''तनु ''
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