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Thursday, April 23, 2015

वो 
जिसे कहते हैं 
''किताबी कीड़ा ''
आज कोई नहीं दीखता ;
उठाये
जो जहमत कर
बीड़ा ---- 
आज कोई नहीं दीखता !
श्वास श्वास,
खास ,
बात और आस 
तब किताबें ही थी,
उठाये 
जो
राम सी पीड़ा --------  
आज कोई नहीं दीखता !!

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