वो
जिसे कहते हैं
''किताबी कीड़ा ''
आज कोई नहीं दीखता ;
जिसे कहते हैं
''किताबी कीड़ा ''
आज कोई नहीं दीखता ;
उठाये
जो जहमत कर
बीड़ा ----
आज कोई नहीं दीखता !
श्वास श्वास,
जो जहमत कर
बीड़ा ----
आज कोई नहीं दीखता !
श्वास श्वास,
खास ,
बात और आस
तब किताबें ही थी,
उठाये
बात और आस
तब किताबें ही थी,
उठाये
जो
राम सी पीड़ा --------
आज कोई नहीं दीखता !!
राम सी पीड़ा --------
आज कोई नहीं दीखता !!
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