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Kaavya
Thursday, April 2, 2015
संयम, संस्कार हो संगत हो असंगत न हो !
प्राण हो कोमलता हो हया हो कुसंगत न हो !!
यशोगान हो मानवता काऔर गंभीर सोच हो,
साहित्य मरे न ! जिए कविता शरणागत न हो !!!
,,,''तनु''
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