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Thursday, April 23, 2015

तुम इला, इड़ा 
धरित्री तुम ही। 
तुम पालक, तुम सृजक 
तुम गणेश सी ,
प्रथम पूज्य 
हो। 

तुम उपवन, तुम वन कानन
तुम कुसुम
तुम सिंदूर, तुम महावर 
तुम हीना सी 
पावन महक
हो। 

तुम जीवन, तुम मधुबन
तुम रचेता ,
तुम प्रणेता, तुम अवसान 
अवगाहन तुम ही। 
तुम सृष्टि सी, 
स्वजन सजन 
हो। 

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