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Tuesday, April 28, 2015


'ग़ैब का हाल खुदा जाने'



ना--- जानू मैं ,ना तू जाने ;
'ग़ैब का हाल खुदा जाने'!

खुशियों में मीठे गीत गुने;

गाती चिड़ियों को मीत चुने !
जिस भोर को बुलाया मैंने, 
उसी सुबह थे सपने बुने !!

फिर प्रीत हुई यूँ अनजाने ,

 ना -- जानूँ मैं, ना तू जाने !!
 'ग़ैब का हाल खुदा जाने … 

हवा ने हौले से दुलराया;

दामन सपनों का लहराया ! 
फिर प्रीत में मनवा डूबा,
तन झूमा औ मन इतराया !!

  सुनहरा दिन रंगीन शामें,

  ना --  जानूँ मैं,  ना तू जाने !!
 'ग़ैब का हाल खुदा जाने … 

एक दिन भीषण वज्राघात;

रोते मिल कर प्रात औ रात !
होनी  न कहकर है आती, 
बीती ना तमस की वो रात !!

सपने टूट गए सुहावने,  

ना -- जानूँ मैं, ना तू जाने!! 
 'ग़ैब का हाल खुदा जाने , 

ग़म उसका ख़ुशी भी उसकी ;

प्रीत और नफ़रत भी उसकी !
गम से अब क्योंकर है डरना,
 खेवक वो  नैया भी उसकी !!

वो आयेगा पार लगाने ??

ना -- जानूँ मैं, ना तू जाने !!
'ग़ैब का हाल खुदा जाने …

ना जानूँ मैं ना तू जाने !!
'ग़ैब का हाल खुदा जाने … ''तनु ''
















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