दिल की बात कह, सुनने सुनाने की गुजारिश लिए;
छाई हैं बदलियाँ, बरसने की चाह नवाजिश लिए !
दिल अब क्यों चला है शहर की रंगीनियों से दूर ?
चमकती सी याद है चली आती है साजिश लिए !
चमन में डालियाँ फूलों की झुक गयी बेसाख्ता ;
नया ख्वाब, दिल अब है सज रहा, गम-ओ-गर्दिश लिए !
टूटे ख़्वाब ,ज़ख्म न थे, न दाग रहे मेरे दिल में ;
खुद ही के उस्लूबों को सजा लो छुपी रंजिश लिए !
शब तन्हा कभी थी औ न ही होगी कभी ए दिल ;
ख़्वाब कच्चा नहीं, झूठा नहीं , कोई खालिश लिए !
छाई हैं बदलियाँ, बरसने की चाह नवाजिश लिए !
दिल अब क्यों चला है शहर की रंगीनियों से दूर ?
चमकती सी याद है चली आती है साजिश लिए !
चमन में डालियाँ फूलों की झुक गयी बेसाख्ता ;
नया ख्वाब, दिल अब है सज रहा, गम-ओ-गर्दिश लिए !
टूटे ख़्वाब ,ज़ख्म न थे, न दाग रहे मेरे दिल में ;
खुद ही के उस्लूबों को सजा लो छुपी रंजिश लिए !
शब तन्हा कभी थी औ न ही होगी कभी ए दिल ;
ख़्वाब कच्चा नहीं, झूठा नहीं , कोई खालिश लिए !
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