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Tuesday, April 21, 2015

ग़मों को क्यों बारहा मन ही मन दोहराता है ----- ये आदमी ! 
लतीफ़ो को दोबारा सुन कर नहीं हँसता है --------ये आदमी !!
सुखद यादों में गोते लगाता कभी मन ही मन रोता है,
आहें भर, बूढी, किलकारियों में जीता है ----------- ये आदमी,…''तनु '' 

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