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Saturday, April 25, 2015

सुनहरे ख्वाब के परिंदे  ,         रूठे हुए हैं !         
दरख़्त आशा औ प्यार के ,      टूटे हुए हैं !!
माँ का आँचल और वात्सल्य ढूँढता हूँ,
नींव नहीं ध्रुव करुणा के ,       झूठे हुए हैं !

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