सुनहरे ख्वाब के परिंदे , रूठे हुए हैं !
दरख़्त आशा औ प्यार के , टूटे हुए हैं !!
माँ का आँचल और वात्सल्य ढूँढता हूँ,
नींव नहीं ध्रुव करुणा के , झूठे हुए हैं !
दरख़्त आशा औ प्यार के , टूटे हुए हैं !!
माँ का आँचल और वात्सल्य ढूँढता हूँ,
नींव नहीं ध्रुव करुणा के , झूठे हुए हैं !
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