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Monday, April 20, 2015


आखर चुन लो 

काल चक्र को
 कैसे मोड़ें ?
नैन कैसे जुड़े ? आखर से … 
कौन पढ़े ?
??
कह सके ना,  अपनी बात !!!
पन्नों के ,
कैदी !!!

ये निर्दोष हैं 
व्यवहार से कार्य से 
कौन सुने उनकी ?
कोई न जा सका 
??
मोती ढूँढने 
बहुत गहरे 
कोई तुम सा 
धृति !!!

मुक्त करने तुम्हे ,
ज्ञान भरने तुममें 
चाहते 
बहुत कुछ कहना तुमसे
खोजना , छुपा हुआ !
??
पता है !
इन पुस्तकों में …
जाओ न ,
गैदी !!!

खो जाओ इनमें ,
उठाओ बीड़ा !!!
बन के कीड़ा  इनका 
पा लो ,
जो इनमें है छुपा
नन्हों!!!
किताबें भी माँ हैं 
??
छिपो आँचल में 
चढ़ो ज्ञान की 
पैड़ी !!!


कहाँ है अंत ?
किसका ?
ज्ञान का ? पाये न पार ,
देखो छूट न जाना,
 मझधार…
??
हाँ मैं कहूँगा
 तुम कहोगे 
सब कहेंगे 
नेति !!! 












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