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Tuesday, April 28, 2015



नज़राना प्यारा   (दिठौना )

दुलारा  है माता का छौना ;
मीठी - मीठी नींद सोना !!!

दुनिया से प्यारी माँ की गोद ! 
दुनिया से न्यारी माँ की गोद !
सबसे महँगी माँ की गोद !
निर्मल अनोखी माँ की गोद !
दाम लगे  ना औना - पौना ;
आ सोजा बिछा - बिछौना … 


देती माँ खुशियों के पल !
झुकता सृष्टि का खल बल ! 
पहला कदम अंगुली के बल !
होने न दे हमको निर्बल !
न समझ अपने को बौना ;
खो समय क्यों रोते  हो ना …… 


चलना सीखते गिरते कई बार ;
गिरते ! उठाती बार - बार !
सिखाती कभी मानो न हार !
निर्मल  गंगा बहती धार !
दिया है कैसा यह नज़राना ?
 देख कैसा लगा दिठौना ? 


माँ की ममता है नज़राना !
माँ की सीख है नज़राना !
माँ की दृष्टि ही नज़राना !
माँ की सृष्टि है नज़राना !
उसकी आशीष सदा ही लो ना ;
उसके प्यार को कभी न खोना … ''तनु ''
























5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 31 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आदरणीया मैम ,
    माँ को समर्पित एक बहुत ही मासूम निर्मल सी रचना। सच माँ की ममता की तरह और कोई नज़राना नहीं। सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार।

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  3. माँ पर सुंदर समर्पित रचना।
    वाह।

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