नज़राना प्यारा (दिठौना )
दुलारा है माता का छौना ;
मीठी - मीठी नींद सोना !!!
दुनिया से प्यारी माँ की गोद !
दुनिया से न्यारी माँ की गोद !
सबसे महँगी माँ की गोद !
निर्मल अनोखी माँ की गोद !
दाम लगे ना औना - पौना ;
आ सोजा बिछा - बिछौना …
देती माँ खुशियों के पल !
झुकता सृष्टि का खल बल !
पहला कदम अंगुली के बल !
होने न दे हमको निर्बल !
न समझ अपने को बौना ;
खो समय क्यों रोते हो ना ……
चलना सीखते गिरते कई बार ;
गिरते ! उठाती बार - बार !
सिखाती कभी मानो न हार !
निर्मल गंगा बहती धार !
दिया है कैसा यह नज़राना ?
देख कैसा लगा दिठौना ?
माँ की ममता है नज़राना !
माँ की सीख है नज़राना !
माँ की दृष्टि ही नज़राना !
माँ की सृष्टि है नज़राना !
उसकी आशीष सदा ही लो ना ;
उसके प्यार को कभी न खोना … ''तनु ''
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 31 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteआदरणीया मैम ,
ReplyDeleteमाँ को समर्पित एक बहुत ही मासूम निर्मल सी रचना। सच माँ की ममता की तरह और कोई नज़राना नहीं। सुंदर रचना के लिए हृदय से आभार।
माँ पर सुंदर समर्पित रचना।
ReplyDeleteवाह।